छोटी सी है एक बच्ची ;
अक्ल की नहीं है वह कच्ची;
नाम है उसका सपना ;
सब को समझती है वो अपना.
कक्षा में जब भी जाती है ;
सबको खूब हसाती है; अच्छी-अच्छी बाते
कर सबका मन बहलाती है.
घर पर आकर माँ क़ा हाथ बटाती है;
फिर स्कूल क़ा सारा काम निबटाती है;
अच्छे बच्चे बन सकते हो तुम सब कैसे ?
बन जाओ बिलकुल सपना के जैसे.
2 टिप्पणियां:
सुन्दर बाल रचना।
बच्चों को प्रेरणा देने वाली एक सुंदर रचना,
...बधाई शिखा जी।
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