मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

bandar mama ki shadi

आज सभी बन्दर बाराती ;
सूट-बूट  में  घूम  रहे  हैं  ,
टिमटिम-रिमझिम  नन्हे बन्दर ;
आज ख़ुशी से झूम रहे है ,
बंदरिया भी ओढ़ दुपट्टा
ढपली -ढोलक बजा रही है ,
घर- आँगन दुल्हे की बहना
आम-पत्र से सजा रही है ,
बाजे वाले  बन्दर आज जोर से
ढोल बजाते  है ;
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
दुल्हे राजा कूद-कूद कर
सबको दात दिखाते है ;
अपनी शादी की बस में सबसे पहले  चढ़  जाते है ;
सारे बाराती मिलकर उनकी हँसी उड़ाते है ,
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
बस पहुची  जब नंदन वन में
सब घराती  आ पहुंचे ;
केले-सेब ,टमाटर चीकू
प्रस्तुत करते है भेटे ,
पर जब ढूढा  ''दुल्हे को ''
वो तो उनको नहीं मिला ;
बस के ऊपर चढ़कर  वो तो
दुल्हनिया  को ढूढ़ रहा
सब घराती उसे पकड़कर लाते   है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
फेरे लेकर दूल्हा -दुल्हन
पेड़ के ऊपर जा पहुचे ;
बहुत बुलाया नीचे आओ
लेकिन न आते नीचे ;
घराती और बाराती को 
वे नाको चने चबवाते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
मुश्किल से फिर उन्हें मनाया ;
दोनों क़ा फोटो खिचवाया ;
बस लेकर सारे बन्दर
वापस घर को आते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .

8 टिप्‍पणियां:

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

मजेदार लगी कविता :))))

अनुपमा पाठक ने कहा…

:)nice!

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

सुंदर कोमल मनोभाव.

Akanksha Yadav ने कहा…

बेहतरीन बाल कविता..बधाई.

कभी 'शब्द शिखर' और 'बाल दुनिया' में भी पधारें.

Archana writes ने कहा…

achi prastuti...Shikha ji

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

शिखा जी कल ही किसी संपादक से बात होरी थी उन्हें बाल कवितायेँ चाहिए अपनी पत्रिका के लिए ...क्या आप भेज सकतीं हैं ....?

JAGDISH BALI ने कहा…

Goooooooooooooooood.

Satish Saxena ने कहा…

अरे वाह ! लगता है हमें देर हुई पंहुचने में !.....
:-(