टीटू बन्दर चला एक दिन बन-ठन कर ससुराल ,
जेठ की गर्मी में लू खाकर हाल हुआ बेहाल !
सासू माँ ने पिलवाई उसको कोकाकोला ,
दम में दम आई तब जाकर टीटू बन्दर बोला !
सासू माँ तुम कितनी अच्छी ठंडा मुझे पिलाया ,
मैं भी गठरी में रखकर कुछ तुम को देने आया !
गठरी खोली सासू माँ ने उसमे था खरबूजा ,
ले बलैय्या टीटू की बोली न तुझ सा दूजा !
मीठा मीठा खरबूजा दोनों ने काट के खाया ,
गर्मी के इस मौसम का मिलकर लुत्फ़ उठाया !
शिखा कौशिक 'नूतन'
चुन्नी और चुन्नू का बेटा ,
चीनू बन्दर बड़ा शैतान ,
मोबाइल पर गेम खेलता ,
पढने का न लेता नाम !
हालत उसकी हो गयी पतली ,
सिर पर जब आये एक्जाम ,
मॉम ने उसको गोद बिठाकर ,
याद कराये पाठ तमाम !
डैडी बोले चीनू बेटा ,
आगे से तुम रखना ध्यान ,
खेल के चक्कर में पढाई का ,
करना मत अब नुकसान !
माफ़ी मांगी चीनू ने फिर ,
पकडे अपने दोनों कान ,
माफ़ किया जब मॉम -डैड ने
तब आई मुख पर मुस्कान !
शिखा कौशिक 'नूतन'
पिंकी बिल्ली गई थी दिल्ली लेकर सूटकेस ,
सूटकेस में थे गहने कंगन, रिंग, नेकलेस ,
ऑटो में वो ज्यों ही बैठी साथ चढ़ा एक चोर ,
सूटकेस लेकर वो भागा , मचा जोर का शोर
पिंकी भागी उसके पीछे , मारा पीठ पे पंजा ,
चोर गिरा वही सड़क पर पापी नीच लफंगा ,
पिंकी ने फिर गला दबाकर उसको यूँ धमकाया ,
मैं हूँ मौसी शेर की बेटा ! बोल समझ में आया ,
चोर ने डरकर पकड़ लिए बिल्ली मौसी के पैर ,
ऐसी चपल-चतुर मौसी से रखना न बच्चो बैर !
शिखा कौशिक 'नूतन '