मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

bandar mama ki shadi

आज सभी बन्दर बाराती ;
सूट-बूट  में  घूम  रहे  हैं  ,
टिमटिम-रिमझिम  नन्हे बन्दर ;
आज ख़ुशी से झूम रहे है ,
बंदरिया भी ओढ़ दुपट्टा
ढपली -ढोलक बजा रही है ,
घर- आँगन दुल्हे की बहना
आम-पत्र से सजा रही है ,
बाजे वाले  बन्दर आज जोर से
ढोल बजाते  है ;
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
दुल्हे राजा कूद-कूद कर
सबको दात दिखाते है ;
अपनी शादी की बस में सबसे पहले  चढ़  जाते है ;
सारे बाराती मिलकर उनकी हँसी उड़ाते है ,
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
बस पहुची  जब नंदन वन में
सब घराती  आ पहुंचे ;
केले-सेब ,टमाटर चीकू
प्रस्तुत करते है भेटे ,
पर जब ढूढा  ''दुल्हे को ''
वो तो उनको नहीं मिला ;
बस के ऊपर चढ़कर  वो तो
दुल्हनिया  को ढूढ़ रहा
सब घराती उसे पकड़कर लाते   है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
फेरे लेकर दूल्हा -दुल्हन
पेड़ के ऊपर जा पहुचे ;
बहुत बुलाया नीचे आओ
लेकिन न आते नीचे ;
घराती और बाराती को 
वे नाको चने चबवाते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
मुश्किल से फिर उन्हें मनाया ;
दोनों क़ा फोटो खिचवाया ;
बस लेकर सारे बन्दर
वापस घर को आते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .

शनिवार, 27 नवंबर 2010

pyari titli

रंग बिरंगी ,नीली -पीली
चंचल ,चपल -थिरकती तितली ;
फूल के ऊपर छतरी बनकर
नाच रही है प्यारी तितली ;
टिंकू, मिंकू , पिंकी -चिंकी
 सबको लगती प्यारी तितली;
ललचाकर है पास बुलाती
पास बुलाकर खुद उड़ जाती
बच्चों की है हँसी उड़ाती
फिर भी जग से न्यारी तितली ;
रंग बिरंगी ,नीली-पीली
चंचल चपल ,थिरकती तितली .

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

sapna

छोटी सी है एक बच्ची ;
अक्ल की नहीं है वह कच्ची;
नाम है उसका सपना ;
सब को समझती है वो अपना.
कक्षा में जब भी जाती है ;
सबको खूब हसाती है; अच्छी-अच्छी बाते
कर सबका मन बहलाती है.
घर पर आकर माँ क़ा हाथ बटाती   है;
फिर स्कूल क़ा सारा काम निबटाती है;
अच्छे बच्चे बन सकते हो तुम सब कैसे ?
बन जाओ बिलकुल सपना के जैसे.

मंगलवार, 9 नवंबर 2010

cheeti v sher

चीटी को देखो- चीटी को देखो
खुद करती है अपना काम;
अपनी मेहनत   और लगन
से बनती है धनवान.
शेर को देखो
खुद करता है
अपना शिकार;
जो दूजे के सहारे बैठा
वो रहता बिलकुल बेकार
इससे कुछ सीखो.

गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010

story-kisko mile inam

दिव्यपुर नाम क़ा एक नगर था जिसका राजा सौम्य सिंह बहुत न्याय-प्रिय था.उसका राज्य  khushhaal था तथा प्रजा सुखी थी.किसी को किसी प्रकार की कमी नहीं thi .इसी प्रकार सुख पूर्वक दिन व्यतीत हो रहे थे तभी दिव्य्पुर के एक गॉंव सोमपुरी के जंगल में खूखार शेर आ गया जो दिन रात कोई न कोई जानवर या मानव पकड़कर ले जाता तथा खा जाता था.उसके डर से लोग गॉंव छोड़कर  दूसरे गॉंव जाने लगे. राजा ने जब ऐसी sthiti देखी तो उस ने पूरे राज्य में यह घोषणा करवा दी क़ि जो भी शेर को मारेगा उसे चार सो सोने की मुद्राये  इनाम में दी जाएँगी . सोमपुरी में रामदास;krishanchand;चन्द्रिका सिंह नाम के तीन मित्र रहते थे.वे तीनो बहुत गरीब थे.उन्होंने सोचा की 'वैसे भी हम गरीबी से तंग आ गए है और इसप्रकार जीना तो मौत से भी बदतर है क्यों न हम जंगल में जाकर शेर को मार डाले और अगर वह हमे खा भी जाये तो कम से कम हम इस गरीबी के जीवन से तो छूट जायेगे. अब उन्होंने किसी प्रकार तीर-कमान क़ा इंतजाम किया तथा जंगल की ओर  चल दिए.दोपहर होने पर वे एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने लगे तभी वह शेर वंहा आ पहुंचा. रामदास कमान उठा लाया व् क्रिशंचंद तीर; परुन्तु उन्हें यह चलाना नहीं आता था.केवल चन्द्रिका सिंह को तीर चलाना आता था.उसने रामदास से कमान लेकर  व् क्रिशंचंद से तीर लेकर शेर पर तुरंत चला दिया .वह तीर सीधा जाकर शेर के लगा जिससे वह मारा गया.  शेर को मरा हुआ देखकर तीनों के मन में खोट आ गया कि चार सो सोने कि मुद्राएँ मुझे ही मिलनी चाहियें.वे तीनों झगड़ने लगे तथा इसके समाधान के लिए राजा के पास पहुँच गए.राजा ने उनकी समस्या सुनी तथा बोले- रामदास व् क्रिशंचंद  के तीर-कमान से ही शेर मारा गया है किन्तु यदि चन्द्रिका सिंह को तीर कमान चलाना नहीं आता होता तो न तो शेर मरता अपितु तुम तीनों ही मारे जाते. अत: शेर को मaarneमें सबसे बड़ा योगदान चन्द्रिका सिंह क़ा ही होने के कारण उसे तीन सो सोने कि मुद्राये प्रदान की जाती हैं;चूँकि रामदास व् क्रिशंचंद ने भी सहयोग किया है इसलिए उन्हें भी पचास-पचास सोने कि मुद्राये प्रदान की जाती हैं. राजा क़ा फैसला सुनकर तीनों संतुष्ट हो गए तथा राजा की प्रशंसा करते हुए अपने गॉंव को चल दिए.

मंगलवार, 26 अक्तूबर 2010

poem-pahchano ye kis-kis ke nam

जो भी खाता आलू
पीछे पड़ जाता भालू.
*********   ***************
मैंने खाया बेर
डरता मुझसे शेर.
************  *********
खाता हूँ मै खूब चुकंदर
मुझसे डरते सारे बन्दर.
****************  *****
जब खाती हूँ मै अंगूर
आ जाते है तब लंगूर.
***  ***************
घर में मच गया शोर
आया देखो छत पर मोर
**********  ******************
कहाँ गया जूते क़ा फीता
जंगल में रहता है चीता.
*******************************
जिसका हो न कोई साथी
उसका साथी होता हाथी.
********************************
देख कर सूरज की किरण
जंगल में नाचते हिरन.
************************************
बिस्तर पर है एक तकिया
आकाश में उडती सुन्दर चिड़िया.
**************************************
लाया देखो मै टमाटर
डोगी पीता ठंडा वाटर
***********************************
एक दिन मै चौकी
कौन लाया इतनी मोटी लौकी.
********************************
    *********************
         *************