
दादा -दादी में हुई लड़ाई ,
दोनों ही जिद्दी हैं भाई ,
दादा जी ने मूंछे ऐंठी ,
दादी ने त्योरी थी चढ़ाई !
यूँ मुद्दा था नहीं बड़ा
पर लड़ने का शौक चढ़ा ,
दादा चाहते मीठा खाना ,
दादी का डंडा है कड़ा !
डायबिटीज की लगी बीमारी
दादा जी की ये लाचारी ,
इसी बात पर दादी अकड़ी
बोली अक्ल गयी क्या मारी ?
दादा जी को गुस्सा आया ,
दादी को बिलकुल न भाया ,
हुई शरू यूँ तू तू मैं मैं ,
मैंने माँ को शीघ्र बुलाया !
माँ लायी थी रसमलाई ,
दादा जी ने खुश हो खाई ,
बोली दादी से माँ हँसकर
'शुगर फ्री ' है ये मिठाई !
दादा हँसे हँसी दादी भी ,
मुझको भी हँसी थी आई ,
दोनों मुझको लगते प्यारे ,
माँ भी हल्के से मुस्काई !
तुकांत कविता"मौलिक व अप्रकाशित"
शिखा कौशिक 'नूतन'
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