शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

जान के लाले -a short story





''देखो होशियार रहना !मैं तुम्हारे लिए कुछ भोजन का इंतजाम करने जाती हूँ .खेल -कूद  के चक्कर में बिल से ज्यादा दूर मत  जाना इधर वह दुष्ट टिंकी   बिल्ली घात लगाकर बैठी  रहती  है  .सावधान   रहना !''शेनी चुहिया अपने बच्चों को हिदायत देकर होशयारी  से बिल से निकल  गयी  भोजन की  तलाश  में .माँ  के जाते ही सिम बोला ''चल  टिम   बिल से बाहर   खेलते   हैं .बिल में तो मेरा दम घुट जाता है .'' टिम बोला ''तू ही खेल बाहर..मैं तो मोबाइल   पर गेम खेल लूँगा.माँ ने मना किया है बिल से बाहर ज्यादा घूमने के लिए .माँ साथ हो तो ठीक है वर्ना मुझे तो डर लगता  है .'' सिम टिम की  बातों  को अनसुना  कर ज्यों ही बाहर निकला  उसके  होश उड़ गए .टिंकी बिल्ली नज़र गडाए उसी ओर देख रही थी .टिंकी ने छलांग  लगाकर ज्यों ही सिम को पकड़ना चाहा सिम पूरा जोर लगाकर बिल में कूद पड़ा .टिम उसकी हालत देखकर सारा मामला समझ गया .उसने सिम को समझाते  हुए कहा-देखा जो  बड़ों की बात नहीं मानते उन्हें ऐसे ही जान के लाले  पड़ जाते हैं .
                                   शिखा कौशिक 

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