सूरज चाचा रोज सुबह तुम
हमें जगाने आते हो ;
किरण बुआ के उजियारे से
सारा जग चमकाते हो .
काले काले अंधियारे से
खो जाती हैं सभी दिशाएं ;
मेरे जैसे नन्हे बच्चे
माँ से लिपट-चिपट सो जाये
तुम आकर के अंधकार का
सारा दंभ मिटाते हो .
सूरज चाचा रोज सुबह
तुम हमें जगाने आते हो !
शीतकाल में धूप सेंककर
कितना अच्छा लगता है !
खील-बताशे ;गन्ना गुड भी
साथ साथ में चलता है ,
तुम ही हो जो क्रूर शीत से
आकर हमें बचाते हो .
सूरज चाचा रोज सुबह
तुम हमें जगाने आते हो .
शिखा कौशिक
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