टिम-टिम टिम-टिम चमक रहे हैं नभ में कितने तारे ;
मम्मी देखो लगते हैं ये तारे कितने......प्यारे !
क्या मैं इनको छू सकता हूँ ?रख सकता हूँ पास ?
क्या ये मेरे जैसे हैं ?........क्या लेते हैं ये साँस ?
क्या ये खाना खाते हैं ?..क्या इनको लगती प्यास ?
[masterfile से sabhar ]
मम्मी माथा चूम के बोली -बात सुनो एक खास
ये हैं भिन्न खगोलीय पिंड ,घर इनका आकाश ,
इनकी चमक से चमक रही है देखो कैसे रात ?
ये तो हैं सब के लिए बेटा उस प्रभु की सौगात ,
छिप जाये जब दिन में ये सब,निकली हो जब धुप ,
आँखों में तुम बसा के रखना इनका सुन्दर रूप .
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
khubsurat prstuti....
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