रोज नया नाम
सुबह सवेरे जल्दी उठता
दादा कहते ''आँख का तारा ''
दादी के संग पूजा करता
वे कहती हैं ''राज दुलारा ''
मम्मी मुझको ''लड्डू''कहती
होम वर्क कर लेता सारा ,
क्रिकेट खेलूं ;चौका मारूं
पापा कहते ''ब्रायन लारा ''
रोज नए नामों से मुझको
घर में सभी बुलाते हैं ,
सबके प्यारे बनकर बच्चे
ऐसे मौज मानते हैं .
5 टिप्पणियां:
bahut sahi bat kahti bahut sundar bhavpoorit kavita.aabhar
बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना! चित्र भी बहुत प्यारी है!
बहुत ही सुंदर एवं बालमन के उल्लास को अभिब्यक्ति प्रदान करने वाली रचना है ! छोटी छोटी खुशियों को समेटना और उसमें खो जाना ही तो बचपन है ! साभार !!!
http://www.mishrashivam.blogspot.com पर आप के आगमन का आकांक्षी .........
WOW.....Beautiful poem.
बेहद सुन्दर रचना
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