गुरुवार, 24 फ़रवरी 2011

चुनमुन गिलहरी

एक गिलहरी प्यारी-प्यारी
नाम है उसका चुनमुन
सुबह सुबह उठ  जाती  है वो
फुदकती    फिरती वन वन 
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एक रोज वो फुदक रही थी
देखा उसने बाज
थर थर कांपी  जोर से  
हालत हुई ख़राब
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फिर भी उसने जोर से
सबको दी आवाज  
यहाँ नहीं आना कोई
पेड़ पे बैठा बाज
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तभी एक बन्दर आया
जोर से पेड़ हिलाया
पेड़ के हिलते ही
बाज बहुत घबराया
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बाज वहां से भाग लिया
तो बन्दर भी मुस्काया
चुनमुन ने ली साँस चैन की
बड़ा मजा था आया.
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7 टिप्‍पणियां:

जयंत - समर शेष ने कहा…

सुन्दर है... बहुत अच्छा है बच्चों के लिए..

Kunwar Kusumesh ने कहा…

बच्चों के लिए सुन्दर बाल कविता.

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

शिखा जी ,

बहुत प्यारी बाल कविता ..........चुनमुन और प्यारा पात्र

Satish Saxena ने कहा…

सो आखिर चुनमुन बच गयी मुसीबत से , फिर बन्दर की तो पार्टी करनी चाहिए ! आप लेखन में सफल रही हैं ! शुभकामनायें !!

POOJA... ने कहा…

मुझे भी ये कविता पढ़कर बड़ा मज़ा आया...
बहुत ही प्यारी, खिलखिलाती-सी रचना...

हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बहुत सुंदर .....!!

शिखा जी आपकी कवितायेँ पढ़ तो बचपन में लौटने का जी करता है ......

संजय भास्‍कर ने कहा…

शिखा जी
बहुत प्यारी बाल कविता