कण-कण में स्वर्णिम आभा है ,
निर्मलता यहाँ के तृण-तृण में ,
सरस्वती का वर-स्वरुप
यह भारत-वर्ष महान है !
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महापुरुषों की प्रिय -भूमि ,
सज्जनता की है ये मशाल ,
धर्म की सुरभि चहुँ -दिशा में ,
हाँ ! इस पर हमको अभिमान है !
यह भारत-वर्ष महान है !
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राम हुए बलराम हुए ,
हुए यहाँ पर बनवारी ,
गौतम -गांधी के हाथों फिर
फूली भारत की फुलवारी ,
वीरो का तीर्थ-स्थान है !
यह भारत-वर्ष महान है !
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झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ,
भगत सिंह का देश है ,
आज़ादी रहे अटल इसकी ,
दुश्मन के प्रति आवेश है ,
तन-मन-धन सब कुर्बान है !
यह भारत-वर्ष महान है !
जय हिन्द ! जय भारत !
4 टिप्पणियां:
nice feeling .
माँ भारती का नमन ... शुन्दर भाव ...
बहुत सुन्दर!
सुन्दर रचना !
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