[गूगल से साभार ]
आज ''गौरैया -दिवस '' है .हमारी प्यारी चिड़िया -''हमारे आस -पास फुदकती रहो ;
हमारे आँगन में आकर चहकती रहो ''
फुदक-फुदक कर डोल रही है
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
कितना मीठा बोल रही है ;
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
फव्वारे में नहा रही है ;
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
सबका मन बहला रही है ,
मेरी बगिया में एक चिड़िया .
शिखा कौशिक
1 टिप्पणी:
पक्षियों का जीवन वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दोनों जगत के लोगों के लिए प्रेरणा का विषय रहा है। उनका लुप्त होते जाना हमारी अचेतन जीवनशैली का नतीज़ा है।
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