हम डॉगी संग खेलेंगे ;
उसको पुचकारेंगे जी भर
कभी गोद में ले लेंगे .
पूंछ हिलाएगा जब आकर
उसको हम सहलायेंगे ;
मिटटी में गन्दा होगा जब
उसको हम नहलायेंगे .
पापा हमको ...
बन्दर जब आयेंगे छत पर
डॉगी से भगवाएंगे ;
उश ..उश ..कर कूद कूद कर
उसको जोश दिलाएंगे
पापा हमको .....
उसको बाँहों में भर लेंगे
जब स्कूल से आयेंगे ;
हाथ मिलाना सिखलाएंगे
योगा भी करवाएंगे .
पापा हमको .....
शिखा कौशिक
6 टिप्पणियां:
क्या बात है बिलकुल सच शब्दों में उतार दिया है आभार.शिखा जी
बहोत छुन्दल पोएम।
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बेहतर लेखन की ‘अनवरत’ प्रस्तुति।
अब आप अल्पना वर्मा से विज्ञान समाचार सुनिए..
Very cute!
nice pics
beautiful poem
वाह वाह ,,... बच्चों पे लिखी लाजवाब रचना है ...
योगा भी ....?
:))
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