सोमवार, 6 जून 2011

छुट्टी आई छुट्टी आई


                                                                           ''गूगल से साभार ''
छुट्टी आई छुट्टी आई 
नाना के घर जायेंगे ;
मामा और मौसी के संग 
मिलकर धूम मचाएंगे   .

मामा से साईकिल सीखेंगे ,
मौसी संग कैरम खेलेंगे ,
नानी के संग काम करेंगे
चकले पर पूरी बेलेंगे .
नाना-नानी मम्मी -मौसी 
के संग मिलकर खायेंगे .
छुट्टी  आई .........

नाना का हम हाथ पकड़कर 
फिर बाजार को जायेंगे ,
गुब्बारे और टॉफी चौकलेट 
लेकर घर को आयेंगे ,
टॉफी हम देंगे मौसी को 
मामा से   गुब्बारे फुलवायेंगे.
छुट्टी  आई छुट्टी आई ..

                                      शिखा कौशिक 



5 टिप्‍पणियां:

सदा ने कहा…

बहुत ही प्‍यारी रचना ... आभार इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

अभिषेक मिश्र ने कहा…

क्या लिखा है शिखा जी आपने ! कविता नहीं जिवंत अनुभूति ही कहना चाहूँगा इन्हें. आभार.

Kunwar Kusumesh ने कहा…

प्‍यारी रचना, बहुत सार्थक और सटीक प्रस्तुति.

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

सुन्दर और बेहतरीन कविता

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

शिखा कौशिक जी अभिवादन -
क्या बात है शिखा जी बचपना याद दिला दिया नानी तो चली गयी याद सता गयी
शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
पहले तो हमारे ब्लॉग भ्रमर की माधुरी पर आने के लिए आभार
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में भी आयें और बच्चों को थोडा प्यार दें
मामा से साईकिल सीखेंगे ,
मौसी संग कैरम खेलेंगे ,
नानी के संग काम करेंगे
चकले पर पूरी बेलेंगे .