मंगलवार, 21 जून 2011

टॉमी -जॉनी

टॉमी -जॉनी 
दो चूहे थे टॉमी-जॉनी 
हर पल करते थे शैतानी;
कभी किसी के कपडे काटें 
कभी वो रोटी लेकर भागें ;
एक दिन आ गयी बिल्ली रानी 
दोनों को हो गयी परेशानी ;
कैसे इससे जान बचाएं ?
कैसे फिर से धूम मचाएं ?
इतने में आ गया गृह स्वामी ;
भागी देख के बिल्ली रानी ,
चूहों ने फिर मन में ठानी 
नहीं करेंगे अब मनमानी ;
गृह स्वामी ने हमें बचाया 
हमको है अहसान चुकाना 
कपडा-कागज न काटेंगे 
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे 
अच्छा हमको सभी कहेंगे .
                          शिखा कौशिक 

8 टिप्‍पणियां:

Shalini kaushik ने कहा…

गृह स्वामी ने हमें बचाया
हमको है अहसान चुकाना
कपडा-कागज न काटेंगे
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे
अच्छा हमको सभी कहेंगे
choohe aise ho jayen to maza aa jaye.

arvind ने कहा…

sundar kavita.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

शिखा कौशिक जी अभिवादन -
सुन्दर बाल कविता अनुशासन का सन्देश भी देती हुयी मन को भायी


चूहों ने फिर मन में ठानी
नहीं करेंगे अब मनमानी ;
गृह स्वामी ने हमें बचाया
हमको है अहसान चुकाना
कपडा-कागज न काटेंगे
रोटी लेकर न भागेंगे ;
अनुशासन से यहाँ रहेंगे
अच्छा हमको सभी कहेंगे

शुक्ल भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
पहले तो हमारे ब्लॉग भ्रमर की माधुरी पर आने के लिए आभार
बाल झरोखा सत्यम की दुनिया में भी आयें और बच्चों को थोडा प्यार दें

Mukesh ने कहा…

सुन्दर बाल कविता..
मूषक को भी अनुशासन का पाठ.............
अच्छी लगी।

virendra sharma ने कहा…

खूबसूरत गेयता लिए गेय बाल गीत .बधाई ।
अ से अनार आ से आम ,
बच्चों कर लो अपना काम ,
इ से इमली ई से ईख ,
छोटी भैया कुछ तो सीख ।
उ से उल्लू ऊ से ऊन,
चल मेरे घोड़े देहरादून .

संजय भास्‍कर ने कहा…

शिखा कौशिक जी
नमस्कार !
सुन्दर बाल कविता..
कमाल की लेखनी है आपकी

संजय भास्‍कर ने कहा…

करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

एस एम् मासूम ने कहा…

बेहतरीन पेशकश