सोमवार, 26 मई 2014

बन्दर मामा की शादी

आज सभी बन्दर बाराती ;
सूट-बूट में घूम रहे हैं ,
टिमटिम-रिमझिम नन्हे बन्दर ;
आज ख़ुशी से झूम रहे है ,
बंदरिया भी ओढ़ दुपट्टा
ढपली -ढोलक बजा रही है ,
घर- आँगन दुल्हे की बहना
आम-पत्र से सजा रही है ,
बाजे वाले बन्दर आज जोर से
ढोल बजाते है ;
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
दुल्हे राजा कूद-कूद कर
सबको दात दिखाते है ;
अपनी शादी की बस में सबसे पहले चढ़ जाते है ;
सारे बाराती मिलकर उनकी हँसी उड़ाते है ,
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
बस पहुची जब नंदन वन में
सब घराती आ पहुंचे ;
केले-सेब ,टमाटर चीकू
प्रस्तुत करते है भेटे ,
पर जब ढूढा ''दूल्हे' को ''
वो तो उनको नहीं मिला ;
बस के ऊपर चढ़कर वो तो
दुल्हनिया को ढूढ़ रहा
सब घराती उसे पकड़कर लाते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
फेरे लेकर दूल्हा -दुल्हन
पेड़ के ऊपर जा पहुचे ;
बहुत बुलाया नीचे आओ
लेकिन न आते नीचे ;
घराती और बाराती को
वे नाको चने चबवाते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .
मुश्किल से फिर उन्हें मनाया ;
दोनों क़ा फोटो खिचवाया ;
बस लेकर सारे बन्दर
वापस घर को आते है .
सेहरा बांध के बन्दर मामा
दुल्हन लेने जाते है .


शिखा कौशिक 'नूतन'

सोमवार, 5 मई 2014

यह भारत-वर्ष महान है !

कण-कण में  स्वर्णिम आभा है ,
निर्मलता यहाँ के तृण-तृण में  ,
सरस्वती का वर-स्वरुप
यह भारत-वर्ष महान  है !
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महापुरुषों की  प्रिय -भूमि  ,
सज्जनता की  है ये मशाल  ,
धर्म की सुरभि चहुँ -दिशा  में ,
हाँ ! इस  पर  हमको  अभिमान  है !
यह भारत-वर्ष महान  है !
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राम हुए बलराम हुए ,
हुए यहाँ पर बनवारी  ,
गौतम -गांधी  के हाथों  फिर
फूली भारत की फुलवारी ,
वीरो का तीर्थ-स्थान है !
यह भारत-वर्ष महान  है !
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झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ,
भगत सिंह का देश है ,
आज़ादी रहे अटल इसकी ,
दुश्मन के प्रति आवेश है ,
तन-मन-धन सब कुर्बान है !
यह भारत-वर्ष महान  है !

जय हिन्द ! जय भारत !