मंगलवार, 23 अप्रैल 2013

'हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है '

'हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है '

नन्हे फरिश्तों
रामनवमी का पर्व आप सभी ने आनंद  के साथ मनाया होगा .राम जी जब छोटे से थे तब उनकी माँ भी उन्हें लोरी सुनाकर सुलाती होगी जैसे आपकी माँ आपको सुलाती हैं .तो आज ये लोरी आप सभी के लिए -







हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है ,
मीठी निंदिया के अर्णव में खुद को डुबोता है .
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !

मखमल सा कोमल है लल्ला नाम है इसका राम ,
मैं कौशल्या वारी जाऊं सुत मेरा  भगवान ,
ऐसा सुत पाकर हर्षित मेरा मन होता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !

मुख की शोभा देख राम की चन्द्र भी है शर्माता ,
मारे शर्म के हाय ! घटा में जाकर है छिप जाता ,
फिर चुपके से मुख दर्शन कर धीरज खोता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !

स्वप्न अनेकों देख रहा है सुत मेरा निंद्रा में ,
अधरों पर मुस्कान झलकती राम के क्षण क्षण में ,
मधुर स्वप्न के पुष्पों को माला में पिरोता है !
हौले हौले बह समीर मेरा लल्ला सोता है !

शिखा कौशिक 'नूतन'
मौलिक व् अप्रकाशित 
 

मंगलवार, 16 अप्रैल 2013

गोलू है डॉगी शैतान

    


गोलू है  डॉगी शैतान , 
करता सबको है परेशान ,
सारे बच्चे डरते उससे ,
इसे मानता अपनी शान .

निकली एक दिन अकड़ थी सारी ,
गाड़ी ने जब टक्कर मारी ,
हालत पतली हो गयी उसकी ,
बिगड़ी सूरत प्यारी प्यारी 
गिरा सड़क पर हाय ! धडाम .

बच्चों ने इलाज कराया ,
हल्दी  वाला दूध पिलाया ,
गोलू डॉगी   को ये भाया ,
बच्चों से फिर हाथ मिलाया ,
नहीं डराऊँगा उसने पकडे कान !

शिखा कौशिक 'नूतन '

सोमवार, 8 अप्रैल 2013

भैया हमको साइकिल चलाना सिखा दे !

 Bicycle : boy Riding a bicycle
 "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 30विषय - "शिशु/ बाल-रचना" में तीसरी प्रविष्टि




एक बार एक बार गद्दी पर बैठा दे ,
भैया हमको साइकिल चलाना सिखा दे !

पैडिल पर कैसे  करते हैं वार ?
कैसे हो साइकिल पर हम भी सवार ?
हैंडिल का बैलेंस करके दिखा दे !

भैया हमको साइकिल चलाना सिखा दे !

 कैसे लगाते हैं एकदम से ब्रेक ?
घंटी बजाकर मजे लें अनेक ,
साइकिल सवारों में नाम लिखा दे !
भैया हमको साइकिल चलाना सिखा दे !

      शिखा कौशिक 'नूतन'

घोषणा -मौलिक व् अप्रकाशित
तुकांत कविता


रविवार, 7 अप्रैल 2013

दादा -दादी में हुई लड़ाई


   Cartoon_grandfather : People and family collection 2  
 


दादा -दादी में हुई लड़ाई ,
 दोनों ही जिद्दी हैं भाई ,
दादा जी ने मूंछे ऐंठी   ,
दादी ने त्योरी थी चढ़ाई !


 यूँ मुद्दा था नहीं बड़ा
पर लड़ने का शौक चढ़ा ,
दादा चाहते मीठा खाना ,
दादी का डंडा है कड़ा !


 डायबिटीज  की लगी बीमारी
दादा जी की ये लाचारी ,
इसी बात पर दादी अकड़ी
बोली अक्ल गयी क्या मारी ?


 दादा जी को गुस्सा आया ,
दादी को बिलकुल न भाया ,
हुई शरू यूँ तू तू मैं मैं ,
मैंने माँ को शीघ्र बुलाया !


 माँ लायी थी रसमलाई ,
दादा जी ने खुश हो खाई ,
बोली दादी से माँ हँसकर
'शुगर फ्री ' है ये मिठाई !


दादा हँसे हँसी दादी भी ,
मुझको भी हँसी थी आई ,
दोनों मुझको लगते प्यारे ,
माँ भी हल्के से मुस्काई !


 तुकांत कविता"मौलिक व अप्रकाशित"




शिखा कौशिक 'नूतन'


 

शनिवार, 6 अप्रैल 2013

चंदा मामा चंदा मामा बतला दो अपना मोबाइल नंबर !!

 चंदा मामा चंदा मामा बतला दो अपना मोबाइल नंबर !!


 Child And Moon
चंदा मामा चंदा मामा
तुम हो कितने सुन्दर !
जल्दी से बतला दो अपना
तुम मोबाइल नंबर !!

मिला के नंबर रोज़ करेंगें
दिन में तुमसे बात ,
छत पर चढ़कर रात में
होगी तुमसे मुलाकात ,
भांजे तुम्हारे हम हैं धुरंधर !
 जल्दी से बतला दो अपना
तुम मोबाइल नंबर !!

 एस.एम्.एस. करेंगें ,
करेंगें एम्.एम्.एस. ,
स्विच ऑफ मत करना ,
ये प्रार्थना  है बस !
रिंगटोन बजाकर  गूंजा देंगें अम्बर !

 जल्दी से बतला दो अपना
तुम मोबाइल नंबर !!

मौलिक व अप्रकाशित"
   
   शिखा कौशिक 'नूतन '